झूंठ बोलकर सम्मान अर्जित करने का प्रयास करने वाला शायद नहीं समझ पाता कि ऐसा करके वह स्वयं को कितना अपमानित कर रहा है ।
सबसे महत्वपूर्ण सम्मान वह है जो व्यक्ति स्वयं ही स्वयं को देता है ।
शेलेन्द्र .......
गोबर्धन के ब्रजेन्द्र निवास परिसर में श्री गुरु जी के साथ सत्संग से जो , वचन प्रस्फुटित होते हैं , उनका संकलन '' फूल और कांटे '' के रूप में हुआ है
हमारा जीवन कांटे और फूलों से भरा रहता है , आध्यात्म की मरहम से हम जीवन को उच्चता दे सकते हैं .
रेनू ..
1 comment:
बहुत सटीक लिखा है आपने हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है निरंतरता की चाहत है समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें
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