दाह संस्कार व्यक्ति के जीवन का वह अन्तिम क्षण है , जिसमे व्यक्ति अपने शरीर को ही हावी के रूप मै अग्नि को समर्पित करता है । जीवन के अन्तिम यज्ञ को सफल बनने की इच्छा रखने वाले सभी व्यक्तियों को चाहिए कि अपने शरीर का विकास अन्तिम समय तक करने का प्रयास करें ।
शरीर का विकास करते हुए वे मस्तिष्क कि विराटता का अनुभव भी कर पाएंगे , शरीर की सीमायों से परे उनकी चेतना विकसित होती हुई , व्यक्ति के अन्तिम यज्ञ को भी सफलता प्रदान करेगी ।
शेलेन्द्र ........
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