
आंतरिक निर्मलता का ज्ञान व्यक्ति के चहरे को देखकर किया जा सकता है । उसकी आंतरिक मलिनता भी चेहरा ही बता देता है । संसार में कोई व्यक्ति ऐसा नही हुआ जो अपने आंतरिक भावों को छुपा पाया हो ।
गोबर्धन के ब्रजेन्द्र निवास परिसर में श्री गुरु जी के साथ सत्संग से जो , वचन प्रस्फुटित होते हैं , उनका संकलन '' फूल और कांटे '' के रूप में हुआ है
हमारा जीवन कांटे और फूलों से भरा रहता है , आध्यात्म की मरहम से हम जीवन को उच्चता दे सकते हैं .
रेनू ..
No comments:
Post a Comment