विधवा हो जाने वाली स्त्री और विधुर हो जाने वाले पुरूष से साधारण लोग बहुत ही ऊँचे चरित्र की आशा रखने लगते हैं । यह भुला दिया जाता है कि वे भी साधारण इंसान हैं । उनका चरित्र भी एक आम इन्सान जैसा ही होगा ,उनसे अत्यधिक उम्मीद रखना अमानवीय व्यवहार के सामान है ।
शैलेन्द्र शर्मा ...
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