Monday, April 6, 2009

चरित्र


चरित्र जैसे महान शब्द को कम तक ही सीमित कर दिया है । जबकि जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा व्यक्ति कैसे पूरी करता है , वही उसका चरित्र होता है ।

उसका प्रयास , सफलता , असफलता , समझ आदि चरित्र मने जाते हैं । लेकिन जिस समय चलते -चलते चलने की इति हो जाती है , उसी समय से चरित्र का जन्म होता है ।


शैलेन्द्र शर्मा ...

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