स्वयम को आध्यात्मिक मानने वाले व्यक्ति अपने शरीर को तप करने के भ्रम में अनेक प्रकार से पीड़ित कर लेते हैं । वे लोग केवल शारीरिक , मानसिक विकृति को ही प्राप्त होते हैं । वे समझ नही पाते कि शरीर को उसकी अन्तिम सीमा तक विकसित कर लेना ही एक कठोर तपस्या का परिणाम है ।
शैलेन्द्र शर्मा ...
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