शास्त्रों में यह जानकर कि स्त्रियों में पुरुषों से आठ गुना अधिक काम भाव होता है , अपने पुरुषत्व के हीन भाव से ग्रसित उन्होंने स्त्रियों के साथ व्यभिचार करना शुरू कर दिया । व्यभिचार अर्थात बलात रति लीला में रत होना । शायद वे यह नही समझ पाए कि सृष्टि का रचयिता किसी के साथ पक्षपात नही करता ।
स्त्रियों में यदि आठ गुना अधिक काम भाव है तो वह प्रसव पीड़ा सहन करने के लिए ही है ।
शैलेन्द्र .शर्मा ...
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