कोयले और हीरे मैं कोई तात्विक भेद नहीं है , जब तक कोयला उच्च स्तर का दबाव और तापमान सफलता पूर्वकसह नही लेता , तब तक वह हीरे मैं रूपांतरित नही हो सकता । उसी तरह एक सामान्य और महान व्यक्ति मैं तत्वत : कोई भेद नही होता , लेकिन जो व्यक्ति अनेक प्रकार के मानसिक दबाव सहता हुआ , लक्ष्य को पाता है ,कठोर परिश्रम करने का साहस करता है , येसा कोई भी व्यक्ति बहुत ऊँचा उठकर महान बन सकता है ।
शैलेन्द्र शर्मा ..........
10 comments:
आपके ब्लॉग पर बड़ी खूबसूरती से विचार व्यक्त किये गए हैं, पढ़कर आनंद का अनुभव हुआ. कभी मेरे शब्द-सृजन (www.kkyadav.blogspot.com)पर भी झाँकें !!
Nice blog...and wonderful thoughts..
First of all Wish u Very Happy New Year...
Nice and touchable thought...
Keep writing...
Regards...
SAHMAT HOO VICHARO SE
लेकिन जो व्यक्ति अनेक प्रकार के मानसिक दबाव सहता हुआ , लक्ष्य को पाता है ,कठोर परिश्रम करने का साहस करता है , येसा कोई भी व्यक्ति बहुत ऊँचा उठकर महान बन सकता है ।
Bhot gahri bat kahi aapne....
ye word verification hta len.....
गुलशन की फ़कत फूलों से नहीं काँटों से भी जीनत होती है.
जीने के लिये इस दुनिया में ग़म की भी ज़रुरत होती है.
बहुत बधाई.
achhi post...likhte raho...mere blog par aapki pratikriyao ka swagat hai....
Jai Ho Magalmay HO
bahut hi pyaari baat..........main to isi kaa anusaran kartaa aaya hun....!!
achchha laga.
एकदम सही भाई.
Post a Comment