Thursday, November 20, 2008

अपराध


अपराध एक येसा शब्द है या एक काल्पनिक अवगुण है जो मानव दूसरे व्यक्ति मैं नही देखना चाहता किंतु अपने ह्रदय मैं इस भावना को गुण मानकर पोषित करता है ।

प्रजा तंत्र के इतिहास मैं ही सबसे अधिक अपराध हुए हैं ।

हर बढ़ी संपन्नता के पीछे एक अपराध होता है ।

जिस प्रकार व्यक्ति अपराध करने के लिए स्वतंत्र है , उसे रोकने के लिए भी समर्थ है , तभी समाज मैं विधि परम्परा का उदय हुआ होगा ।

शैलेन्द्र शर्मा ......

2 comments:

makrand said...

from the godfather
behind the wealthe their is a crime
accha lekh

विजय तिवारी " किसलय " said...

रेनू शर्मा जी
नमस्कार
अपराध पर
श्री शैलेन्द्र जी की
संक्षिप्त
किंतु महत्वपूर्ण
टीप के लिए
बधाई
"हर बढ़ी संपन्नता के पीछे एक अपराध होता है ।
जिस प्रकार व्यक्ति अपराध करने के लिए स्वतंत्र है ,
उसे रोकने के लिए भी समर्थ है"
यथार्थ है
आपका
विजय