अपराध एक येसा शब्द है या एक काल्पनिक अवगुण है जो मानव दूसरे व्यक्ति मैं नही देखना चाहता किंतु अपने ह्रदय मैं इस भावना को गुण मानकर पोषित करता है ।
प्रजा तंत्र के इतिहास मैं ही सबसे अधिक अपराध हुए हैं ।
हर बढ़ी संपन्नता के पीछे एक अपराध होता है ।
जिस प्रकार व्यक्ति अपराध करने के लिए स्वतंत्र है , उसे रोकने के लिए भी समर्थ है , तभी समाज मैं विधि परम्परा का उदय हुआ होगा ।
शैलेन्द्र शर्मा ......
2 comments:
from the godfather
behind the wealthe their is a crime
accha lekh
रेनू शर्मा जी
नमस्कार
अपराध पर
श्री शैलेन्द्र जी की
संक्षिप्त
किंतु महत्वपूर्ण
टीप के लिए
बधाई
"हर बढ़ी संपन्नता के पीछे एक अपराध होता है ।
जिस प्रकार व्यक्ति अपराध करने के लिए स्वतंत्र है ,
उसे रोकने के लिए भी समर्थ है"
यथार्थ है
आपका
विजय
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