सुना है कि प्रेम मई लोग लुट जाते हैं बरबाद हो जाते हैं किंतु शारीरिक आकर्षण को प्रेम समझने वाले यह नही जानते कि प्रेम करने वालों का सब कुछ छिना जा सकता है लेकिन प्रेम करने के संतोष को उनसे कोई नही छीन सकता ।
शेलेन्द्र ....
शेलेन्द्र ....
गोबर्धन के ब्रजेन्द्र निवास परिसर में श्री गुरु जी के साथ सत्संग से जो , वचन प्रस्फुटित होते हैं , उनका संकलन '' फूल और कांटे '' के रूप में हुआ है
हमारा जीवन कांटे और फूलों से भरा रहता है , आध्यात्म की मरहम से हम जीवन को उच्चता दे सकते हैं .
रेनू ..
No comments:
Post a Comment