Sunday, August 31, 2008

नायक


अपनी जिन्दगी का नायक व्यक्ति स्वयं होता है , हम अपनी जिन्दगी कैसे जियें यह दूसरों से अधिक हमारे लिए महत्व पूर्ण है ।

पहचानना प्रथम परिचय है और अन्तिम परिचय जान लेना होता है ।

स्वयं को जानने के बाद ही स्वयं के होने पर विश्वास होता है । विश्वास हो जाने के क्षण से ही आत्म ज्ञान प्रारम्भ होता है ।

बुढापे की अनुभव के साथ जहाँ बचपन की मासूमियत मिले ,समझ लेना चाहिए की ज्ञानी के सामने बैठे हो ।

शेलेन्द्र ......

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