जीवन की गहराइयों में वही व्यक्ति डूब सके जो स्वयम जीवंत थे , सर्वत्र यही देखने मै आता है कि लाश तैरती रह जाती है , डूबने के लिए तो जिन्दगी चाहिए ।
शेलेन्द्र .......
गोबर्धन के ब्रजेन्द्र निवास परिसर में श्री गुरु जी के साथ सत्संग से जो , वचन प्रस्फुटित होते हैं , उनका संकलन '' फूल और कांटे '' के रूप में हुआ है
हमारा जीवन कांटे और फूलों से भरा रहता है , आध्यात्म की मरहम से हम जीवन को उच्चता दे सकते हैं .
रेनू ..
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