एक अणु के भीतर रहने वाली अनंत ऊर्जा अणु का बिखंडन करने से जिस प्रकार व्यक्त होती है , लगभग उसी प्रकार मानव मस्तिष्क की सोई हुई चेतना को प्राणायाम द्वारा विखण्डित करने से वह जाग्रत होकर स्वयम की सम्पूर्ण विराटता के साथ व्यक्त होती है । इस प्रयोग को सफलता पूर्वक कर लेने वाला इस असीमित उर्जा का कोई भी प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र होता है । वह चाहे तो विश्व की रचना करे या विश्व का संहार कर दे ।
शेलेन्द्र ......
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