Friday, July 11, 2014

एक नंबरी

महाग्रंथ के पन्नों में
छपे -लिखे ,
अज्ञान मिटाते
स्याह हर्फ़ ,
रहस्यों का पटाक्षेप करते
शब्दार्थों का जाल ;
कथा -संसार का
रोमांच दिखाते
वाक्यों के लच्छे ,
इतिहास के स्मृत
जीवित ,मृत ऋषि -मुनि
राजा -रंक ,नर -पिशाच
शिव ,राम और कृष्ण
सबके होने को
प्रमाणित करते
निशब्द -शब्द सोये
मस्तिष्क की ऊर्जा जैसे
छुपे रहते हैं , हम ,
निरक्षर अज्ञानी से
बंद किताब सा
मस्तिष्क ढोते रहते हैं।
अक्षर ज्ञान ,
किताब खोलने की चाबी है ,
उसी तरह ,
श्रेष्ठ  गुरु ज्ञान ,
मस्तिष्क की अज्ञानता को
जाग्रत करने की कुंजी है।
तभी , मानव शरीर रूपी
पंच दरवारी महल
एक नंबरी बनता है।

रेनू शर्मा 

No comments: