शरीर को मात्र जड़ समझने वाले लोग यह नही जानते कि यह शरीर वह जड़ है जिसका आधार लेकर चेतना की बेल बढती जाती है ।
एक दिन उसमें ज्ञान के फूल भी खिल उठते हैं ।
शैलेन्द्र शर्मा ...
गोबर्धन के ब्रजेन्द्र निवास परिसर में श्री गुरु जी के साथ सत्संग से जो , वचन प्रस्फुटित होते हैं , उनका संकलन '' फूल और कांटे '' के रूप में हुआ है
हमारा जीवन कांटे और फूलों से भरा रहता है , आध्यात्म की मरहम से हम जीवन को उच्चता दे सकते हैं .
रेनू ..
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