
क , दशानन - रावन शरीर और दस इन्द्रियों का प्रतीक है जो स्वयम की रक्षा में सदैव तत्पर रहने से राक्षस कहा जाता है ।
गोबर्धन के ब्रजेन्द्र निवास परिसर में श्री गुरु जी के साथ सत्संग से जो , वचन प्रस्फुटित होते हैं , उनका संकलन '' फूल और कांटे '' के रूप में हुआ है
हमारा जीवन कांटे और फूलों से भरा रहता है , आध्यात्म की मरहम से हम जीवन को उच्चता दे सकते हैं .
रेनू ..
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