Monday, September 8, 2008

चेतना

कोई भी व्यक्ति स्वयम के भीतर वह चेतना संजोये हुए है , जो थोड़े से हेर - फेर से उसे पतन की गहराइयों का अनुभव करा सकती है , वही चेतना सही दिशा मिल जाने पर महानता की ऊंचाई का अनुभव दे सकती है ।
अधिकांश व्यक्तियों की उपलब्धि उनके माता - पिता बनने और बूडा हो जाना ही होती है ।
शेलेन्द्र .......

4 comments:

Kavita Vachaknavee said...

चिट्ठे का स्वागत है. लेखन के लिए शुभकामनाएँ. खूब लिखें, अच्छा लिखें.

श्यामल सुमन said...

रेणु जी,

अच्छा लगा। लिखते रहें।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

राजेंद्र माहेश्वरी said...

सदाचार से आत्मचेतना की अभिवृिद्ध होती है।

شہروز said...

ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक अभिनन्दन.
आप के रचनात्मक प्रयास के हम कायल हुए.
जोर-कलम और ज्यादा.
कभी फ़ुर्सत मिले तो इस तरफ भी ज़रूर आयें.
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/