Thursday, September 18, 2008

चेतना का अध्ययन


स्वयम की चेतना को जाग्रत करने वाला व्यक्ति किसी भी स्तिथि या परिस्तिथि मै समान रहता है , चाहे वह लाश को ठिकाने लगा रहा हो , भोजन कर रहा हो , खाना बना रहा हो , मल त्याग कर रहा हो , अपनी प्रिया का चुम्बन ले रहा हो , दुर्गन्ध का अनुभव कर रहा हो , किसी के सौन्दर्य को सरह रहा हो , खिलते फूल को देख रहा हो , किसी को गाली दे रहा हो , किसी की प्रशंसा कर रहा हो , योग साधना कर रहा हो , या बिना कुछ किए समय व्यतीत कर रहा हो , व्यक्ति स्वयम की चेतना का अध्ययन या स्वयम का अध्ययन करते हुए छेतना को आगे बडाने का प्रयास करता है ।

शेलेन्द्र .......

2 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत सटीक तथ्य बधाई
थोडा समय निकालें मेरे ब्लॉग पर पुन: पधारें

Dev said...

Bahut badhiya...
Badhai..
http://dev-poetry.blogspot.com/